मायलोमा में हड्डियों की समस्या और उसका उपचार।

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मायलोमा मरीज से हड्डियों की समस्या के बारें में बातचीत के कुछ महत्ववूर्ण अंश।

सवाल : मुझे मायलोमा है, मुझे हड्डियों में दर्द क्यों रहता है ?

माइलोमा के लगभग 80% रोगियों में हड्डी रोग के कुछ रूप विकसित होते हैं – यह हड्डियों की कमजोरी के रूप में या हड्डियों में छोटे छोटे छेद के रूप में रह सकता है। यही कारण है की मायलोमा के ज्यादातर मरीज हड्डियों में दर्द की समस्या बताते हैं। यही कारण है की आपके डॉक्टर पुरे शरीर की हड्डियों की एक्स रे, सी टी स्कैन या एम् आर आई करा के देखते हैं। 

इन मरीजों में काम चोट में भी फ्रैक्चर हो जाने की समस्या रहती है और एक बार फ्रैक्चर हो जाये तो जल्दी ठीक भी नै हो पाता।

सवाल : कोई विशेष हड्डी जिसमे मायलोमा में बीमारी होने पे ज्यादा समस्या खड़ी हो सकती है ?

हाँ। रीढ़ की हड्डियों में मायलोमा की वजह से छोटा या बड़ा फ्रैक्चर होना एक आम बात है और ऐसे मरीजों को कभी कभी रीढ़ के हड्डी की कुब्जता को ठीक करने के लिए ऑपरेशन भी कराना पड सकता है।

सवाल : इस प्रकार के हड्डी की समस्याओं के लिए कोई दवाई दी जाती है ?

हाँ। बिस्फोसपोनट ग्रुप की दवा का प्रयोग किया जाता है जिसमे ज़ोलेनड्रोनेट और पामिद्रोनेट नाम की दवाईयां होती हैं। ये दवाईयां हर 28 दिन में एक बार नसों में दी जाती है। इसके फायदे नीचे लिखे हुए हैं :-
[1] हड्डियों के दर्द को काम करता है।
[2] आगे हड्डी की क्षति को रोकने के लिए जरुरी है।
[3] मायलोमा के कारण होने वाले फ्रैक्चर को कम करता है

इस बात का ध्यान रखें की ये दवाई किसी प्रकार की कीमोथेरेपी नै है।

सवाल : क्या यह दवाई मायलोमा के हर मरीज को दी जाती है – या फिर जिनको हड्डी में समस्या है उनको ?

यह दवाई मायलोमा के हर मरीज को दी जानी चाहिए – ऐसा वैज्ञानिक शोध के जरिये सिद्ध किया गया है इसीलिए यह मायलोमा के हर मरीज को दी जानी चाहिए – यह हड्डियों की मजबूती और फ्रैक्चर से बचने के लिए बोहोत जरुरी है।
जब गुर्दे की समस्या भी होती है तो इसके जगह दूसरी दवाई का प्रयोग किया जाता है।

सवाल : इस दवाई के चलते समय कुछ विशेष ध्यान देना चाहिए ?

दो बातों का ध्यान देना जरुरी होता है
[1] किडनी (गुर्दों) की समस्या होने या क्रिएटिनिन के बढ़ने पे देने से पहले डॉक्टर से संपर्क करना जरुरी है।
[2] जबड़े की हड्डी में सड़न – आमतौर पे यह दवाई देने से पहले दांतो की जाँच कराई जाती है क्यूंकि अगर ढीले दांत या फिर मुँह में कोई इन्फेक्शन हो तो जबड़े में सड़न की समस्या हो सकती है।
इसलिए इस दवाई के चलते समय इन बातों का ध्यान रखना जरुरी है:-
[1] मुहं को हेमशा स्वच्छ और साफ़ रखें
[2] दाँत निकलवाने से पहले अपने डॉक्टर को जरूर बतावें

सवाल : अगर रीढ़ की हड्डी में भी समस्या हो तो किस प्रकार का इलाज संभव है ?

यह इस बात पर निर्भर करता है की समस्या कितनी गंभीर है। यह हमे एम् आर आई से पता चलता है।
कुछ मरीजों में जिनमे कम समस्या होती है उनमे दर्द की दवाई और ब्रेस [कमर में लगाने वाला एक विशेष प्रकार का बेल्ट] से ही काम चल जाता है लेकिन जिन मरीजों में समस्या ज्यादा होती है जैसे की फ्रैक्चर हो तो फिर एक विशेष प्रकार का ऑपरेशन करने की जरुरत पद सकती है जिनको – वर्टिब्रोप्लास्टी और काईफोप्लास्टी भी कहते हैं।
कुछ स्थितियों में रेडियोथेरेपी देने की जरुरत पड़ती है – खासकर जब पैरालिसिस की समस्या भी हो।

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