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सवाल: मुझे क्रोनिक माइलॉयड लुकेमिआ है – यह कितनी गंभीर समस्या है ?
क्रोनिक माइलॉयड लुकेमिआ यानि सी एम् एल एक प्रकार का ब्लड कैंसर है जिसके गंभीरता के तीन स्तर होते हैं।
- ज्यादातर मरीजों को पहले स्तर की बीमारी होती है जिसे क्रोनिक फेज कहते हैं – अगर मरीज की बीमारी इस फेज में पकड़ी जाती है तो दवाईयों से इसे नियंत्रित किया जा सकता है – और मरीजों को काफी लम्बा और बीमारी रहित जीवन दिया जा सकता है।
- दूसरे स्तर की बीमारी को एक्सेलरेटेड फेज कहते हैं और तीसरे स्तर की बीमारी को ब्लास्ट फेज कहते हैं – अगर बीमारी इस स्तर पे पकड़ी जाती है तो इलाज मुश्किल होता है।
- यह बात जानना जरुरी है की – पहले स्तर की बीमारी का अगर ठीक समय और ठीक तरीके से इलाज न किया जाये तो यह दूसरे और तीसरे स्तर की ओर बढ़ जाती है और उस स्थिति में इलाज मुश्किल हो जाता है।
सवाल: मुझे किस फेज की बीमारी है ?
ज्यादातर मरीजों की तरह आपको भी क्रोनिक फेज की बीमारी है – यानि पहले स्तर की बीमारी है।
सवाल: इसके इलाज के बारे में संछेप में कुछ बताएं ?
सुरुवात में टीएलसी काम करने के लिए आपको एक कैप्सूल दिया जायेगा और जैसे ही बीमारी जांचो द्वारा कन्फर्म हो जाएगी वैसे ही – इमेटिनिब या उसी प्रकार की कोई दवाई दी जाती है जिसको रेगुलर रूप से खाना पड़ता है। ये दवाइयाँ काफी कारगर होते हैं इस बीमारी में बशर्ते इसको रेगुलर लिया जाये बिना गैप किये। सुरुवात के 1 -2 महीने में हर महीने या 15 दिन पे आपको ओ.पी.डी में सी.बी.सी के साथ दिखाने को बोला जायेगा। यदि सब ठीक रह तो फिर हर 3 महीने में आपको ओ.पी.डी में दिखाने को बोला जायेगा – हर 3 महीने में सी.बी.सी के साथ साथ बी.सी.आर/ए.बी.एल की एक विशेष जाँच भी करनी होती है जिससे हमे बीमारी कितनी ठीक हुई है कितनी नहीं उसका पता चल जाता है।
- इस बात का विशेष ध्यान दे की सुरुवात में जब टी एल सी कम करने की दवाई दी जाती है तो दिन भर में पानी उचित मात्रा में लें ताकि पेशाब के रास्ते कैंसर के टूटने से निकली हानिकारक चीज़ें निकल जाएँ। पहले 10 -15 दिन के बाद इसकी जरुरत आम तौर पे नहीं पड़ती है।
सवाल: ये दवाई कितने दिन चलेगी ?
इस बात का ध्यान रखे की यह दवाई काफी लम्बे समय तक (अंदाज़े से कहें तो कम से कम 5 -10 साल) चलानी पड़ती है और कम से कम साइड इफेक्ट्स के साथ इसको लम्बे समय तक चलना भी संभव होता है।
- आज के दौर में आपका यह जानना जरुरी है की इन दवाइयों को 5 -10 साल चलाने के बाद अगर बीमारी काफी सूक्ष्म स्तर पर लंबे समय से कण्ट्रोल में चल रही हो तो इसे बंद करने का निर्णय डॉक्टर के साथ विचार विमर्श के साथ लिए जा सकता है – इस स्थिति में दवाई बंद करने के बाद भी 60 % लोगों में बीमारी वापस आ जाती है और अगर सही समय में इलाज दुबारा से सुरु न किया जाये तो यह गंभी रूप धारण कर सकती है इसलिए बिना डाक्टर के सलाह के इन दवाईओं को बंद करने का निर्णय कभी भी न लें. ऐसी गलती कुछ लोग यह सोच के कर बैठते है की – हमारी बीमारी तो लम्बे समय से कण्ट्रोल में है अतः हमे दवा की कोई जरुरत नहीं है। आप यह गलती कभी भी करने की न सोचें और डाक्टर से परामर्श करें और उनकी बात मानें।
सवाल: इन दवाइयों का कोई विशेष साइड इफेक्ट्स होता है ?
इमेटिनिब के साइड इफेक्ट्स जो आम तौर पे मरीजों को होता है वो इस प्रकार हैं
- शरीर में सूजन होना – चमड़ी के नीचे पानी के जमने से चेहरा थोड़ा शुजा हुआ लगता है परन्तु यह कोई चिंताजनक साइड इफ़ेक्ट नहीं है और हर मरीज को नहीं होता.
- चमड़ी के रंग में बदलाव का होना एक आम साइड इफ़ेक्ट है पर इसको रोकने के लिए कोई दवाई नहीं है
जिन साइड इफेक्ट्स का ध्यान रखना होता है वो है – टी.एल.सी और प्लेटलेट का कम होना और इस लिये समय समय पर ब्लड की जांच (सी.बी.सी) कर के इनके स्तर की देखना होता है और दवाई रोक के डॉक्टर को कब दिखाना है यह जानकारी आपके डॉक्टर आपको जरूर देंगे।
सवाल: क्या हम अपना नार्मल/ आम जीवन सही से बिता पाएंगे दवाईओं के चलने पे भी ?
इसका क्रोनिक फेज एक काफी धीमी गति का कैंसर है और यह दवाईयां काफी कारगर है. इनको लम्बे समय तक चलना पड़ता है परन्तु 80 -90 % मरीजों में इन दवाईयों से बीमारी कण्ट्रोल में रहती है और चुकी साइड इफेक्ट्स भी ज्यादा नहीं होते इसलिए लम्बे समय चलने के बावजूद भी मरीज अपना नॉर्मल जीवन यापन करते हैं और उनको कोई परेशानी नहीं होती।
सवाल: क्या ऐसा भी होता है की दवाई काम ही न करे ?
सुरुवात में ही 10 -15 % मरीजों में सुरुवात की दवाई से रिस्पांस नहीं आता – इस स्थिति में इसी ग्रुप की और अन्य दवाइयां दी जाती है जो की ज्यादातर मरीजों में कारगर होती है।
सुरुवाती दवाई से बीमारी कण्ट्रोल होने के बाद भी आगे चल के 10-15 % मरीजों में सुरुवाती दवाई काम करना बंद करना बंद कर देती है तब भी हमे इसी ग्रुप की और अन्य दवाइयां देनी पड़ती है जो की ज्यादातर मरीजों में कारगर होती है।
सवाल: क्या मेरी बीमारी दूसरे और तीसरे स्तर की बीमारी बन सकती है ?
हाँ अगर ये दवाईयां काम न करे या फिर आप सही से रेगुलर दवाई नहीं लेंगे तो आपकी बीमारी दूसरे स्तर की बीमारी (एक्सेलरेटेड फेज) और तीसरे स्तर की बीमारी (ब्लास्ट फेज) में परिवर्तित हो सकती है। इस स्थिति में फिर इन दवाईयों के काम नहीं बनता – तेज कीमोथेरपी की आवश्यकता पड़ती है।