
कुछ ब्लड की बिमारियों में जब शरीर में प्लेटलेट की कमी होती है तो ब्लीडिंग की संभावना होती है इस स्थिति में प्लेटलेट चढाने की जरुरत पड़ती है। ब्लड बैंक से मिलने वाले प्लेटलेट दो प्रकार के हो सकते हैं।
[1] RDP (आर डी पी ) – रैंडम डोनर प्लेटलेट्स (आर डी पी) दान किए गए लाल रक्त से तैयार किए जाते हैं
जब रक्त दाता पूरे रक्त (व्होल ब्लड ) का दान करते हैं तो पूरे रक्त (व्होल ब्लड ) के बैग को प्रसंस्करण के लिए ब्लड बैंक प्रयोगशाला में ले जाया जाता है। बैग को लाल कोशिकाओं (PRBC), बफी कोट (प्लेटलेट रिच प्लाज्मा) और प्लाज्मा में विभाजित किया जाता है । बफी कोट वाले भाग में प्लेटलेट्स पाए जाते हैं।
पाँच ऐसे बफी कोट (एक ही ब्लड ग्रुप के) को मिला के एक इकाई बना दिया जाता है जिसे रैंडम डोनर प्लेटलेट्स (आर डी पी) कहा जाता है।
[2] SDP (एस डी पी ) – सिंगल डोनर प्लेटलेट्स मशीन के माध्यम से दाता से सीधे एकत्र किया जा सकता है।
प्लेटलेट्स को दाता से सीधे एक विशिष्ट मशीन के माध्यम से एकत्र किया जा सकता है। यह मशीन एक विशेष मशीन में पूरे रक्त को खींचती है और प्लेटलेट्स को रक्त के बाकी हिस्सों से अलग करती है। प्लेटलेट्स को इकट्ठा किया जाता है और एक विशेष बैग में संग्रहीत किया जाता है जबकि शेष रक्त (जो लाल कोशिकाओं और प्लाज्मा है) को दाता के शरीर में लौटा दिया जाता है। इस पुरे प्रकिया को एक चक्र कहते हैं । प्लेटलेट्स की एक इकाई बनाने के लिए मशीन 6-8 चक्र करती है, प्रत्येक 10 मिनट तक चलती है। इस प्रकार एकत्रित प्लेटलेट्स की इस इकाई को ‘सिंगल डोनर प्लेटलेट्स’ कहा जाता है, क्योंकि प्लेटलेट्स केवल एक दाता से प्राप्त किए जाते हैं।
SDP (एस डी पी ) – सिंगल डोनर प्लेटलेट्स का डोनेशन (प्लेटलेटफेरेसिस) कौन कर सकता है ?
- वजन: 55 किग्रा
- उम्र : 18 से 55 वर्ष
- हेमोग्लोबिन: 12.5 ग्राम / डेसीलीटर या अधिक
- प्लेटलेट की संख्या: 1.5 लाख से अधिक प्रति माइक्रोलीटर
ऐसे सभी लोग जो ऊपर दिए गए मानदंडों पे खरे उतरते है वो प्लेटलेट दान करने योग्य होते हैं – इनकी स्क्रीनिंग की जाती है कुछ और पैमानों पे और केवल उपयुक्त दाता को चुना जाता है
पुरुष दाताओं को प्राथमिकता दी जाती है और आदर्श रूप से दाता समान ब्लड ग्रुप का (एक ही रक्त समूह) का होना चाहिए।
स्क्रीनिंग प्रक्रिया – रक्त दाता की तरह प्लेटलेटफेरेसिस के लिए दाता कुछ जांचों से गुजरता है. एक गोपनीय चिकित्सा इतिहास और शारीरिक परीक्षण जिसमें तापमान, नाड़ी की दर और हीमोग्लोबिन की जाँच की जाती हैं । पूर्ण रक्त गणना, एचआईवी, HBsAg, HCV, VDRL और मलेरिया के लिए रक्त के नमूने एकत्र किए जाते हैं और जाँच की रिपोर्ट आने पे ही दाता को प्लेटलेट दान के लिए फिट माना जाता है।
स्क्रीनिंग फिटनेस परिणाम 7 दिनों से 1 महीने तक के लिए मान्य हैं। यदि प्लेटलेट दान 1 महीने के बाद होता है, तो उपरोक्त मापदंडों के लिए दाताओं के नमूने का फिर से परीक्षण किया जाता है।
दाताओं की बांह पर एक प्रमुख नस दिखाई देनी चाहिए और कभी कभी ऐसा न होने पे भी यह प्रक्रिया (प्लेटलेटफेरेसिस) संभव नहीं हो पाती और डोनर /दाता को फिट नहीं माना जाता।
सिंगल डोनर प्लेटलेट्स का डोनेशन (प्लेटलेटफेरेसिस) करने वालों को किन बातों का धयान रखना चाहिए ?
एक प्लेटलेट डोनर को पता होना चाहिए:
- प्लेटलेट डोनेशन से पहले धूम्रपान नहीं करना चाहिए।
- दान से पहले तैलीय समृद्ध / वसायुक्त भोजन नहीं लेना चाहिए।
- दान करने से पहले 72 घंटे तक एस्पिरिन दवाई लेने से बचें।
- दो प्लेटलेट दान के बीच का अंतराल कम से कम एक सप्ताह होना चाहिए।
- डोनर महीने में दो बार या साल में 24 बार प्लेटलेट्स डोनेट कर सकता है।