Aplastic Anemia Diagnosis and Treatment / अप्लास्टिक एनीमिया का निदान और उपचार

सवाल: अप्लास्टिक एनीमिया क्या है?

अप्लास्टिक एनीमिया तब होता है जब आपकी अस्थि मज्जा (बोन मेरो) पर्याप्त लाल और सफेद रक्त कोशिकाओं, और प्लेटलेट्स नहीं बनाती है।

  • लाल रक्त कोशिकाओं के कम होने से हीमोग्लोबिन कम हो जाता है और हीमोग्लोबिन 7 से काम होने पे कमजोरी और साँस की तकलीफ होने लगती है।
  • सफेद रक्त कोशिकाओं के कम होने से आपको संक्रमण होने की अधिक संभावना है।
  • कम प्लेटलेट्स होने से रक्त बहुत पतला हो जाता है – इसका मतलब है कि आपका रक्त उस तरह से थक्का नहीं बना सकता है जैसे उसे चाहिए और ब्लीडिंग होने की संभावना बनी रहती है

सवाल: अप्लास्टिक एनीमिया का क्या कारण है?

अप्लास्टिक एनीमिया ज्यादातर मरीजों में बिना किसी ज्ञात कारण के होता है।

बोहोत काम मरीजों में यह किसी ज्ञात कारण के होता है – इन ज्ञात कारणों में कुछ कारन निचे लिखे गएँ हैं :-

  • कुछ संक्रामक रोगों के बाद जैसे हेपेटाइटिस, एचआईवी, एपस्टीन-बार वायरस इत्यादि।
  • कुछ दवाएं जैसे कि कुछ प्रकार के एंटीबायोटिक्स और एंटीकॉन्वेलेंट्स लेने के बाद।
  • कुछ विष जैसे भारी धातुओं (आर्सेनिक, लीड ) के संपर्क में आना।
  • विकिरण के संपर्क में आने से।
  • एक ऑटोइम्यून बीमारी के फलस्वरूप जैसे ल्यूपस।
  • एक अनुवांशिक बीमारी के रूप में भी यह हो सकता है।

अप्लास्टिक एनीमिया किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन यह किशोर, युवा वयस्कों और वृद्ध वयस्कों में अधिक आम है।

अप्लास्टिक एनीमिया का निदान (डायग्नोसिस) कैसे किया जाता है?

आपका डॉक्टर आपका स्वास्थ्य इतिहास लेंगे और आपकी शारीरिक परीक्षा लेंगे।

आपके प्रयोगशाला परीक्षण (लैब टेस्ट) किए जायेंगे:-

  • रक्त परीक्षण – इनमें रक्त रसायन, लिवर और किडनी के कार्यों का मूल्यांकन और आनुवंशिक (जेनेटिक) अध्ययन शामिल हो सकते हैं।
  • अस्थि मज्जा बायोप्सी – इसमें अस्थि मज्जा तरल पदार्थ या ठोस अस्थि मज्जा ऊतक (कोर बायोप्सी) की एक छोटी मात्रा लेना शामिल है। इन्हें अक्सर कूल्हे की हड्डियों से लिया जाता है। उन्हें रक्त कोशिकाओं या असामान्य कोशिकाओं की संख्या, आकार और परिपक्वता के लिए जाँच की जाती है।

इन जांचों के आधार पे अप्लास्टिक एनीमिया का डायग्नोसिस बनाया जाता है और यह बीमारी कितनी गंभीर है उसका अंदाजा लगाया जाता है। यह बीमारी कितनी गंभीर स्तर की है उसी आधार पे इस बीमारी का इलाज निर्भर करता है।

अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज कैसे किया जाता है?

अप्लास्टिक एनीमिया के लिए विशिष्ट उपचार आपके डॉक्टर द्वारा निम्नलिखित के आधार पर निर्धारित किए जाएंगे:

  • आयु, समग्र स्वास्थ्य और चिकित्सा इतिहास
  • कारण और एनीमिया की गंभीरता
  • विशिष्ट दवाओं, प्रक्रियाओं या उपचारों के लिए आपकी सहिष्णुता

सहायक चिकित्सा – निम्न रक्त गणनाओं का इलाज करने के लिए, प्रारंभिक उपचार सहायक है, जिसका अर्थ है कि लक्षणों का इलाज करना आवश्यक है लेकिन यह बीमारी को ठीक नहीं करता है।

सहायक चिकित्सा में निम्न उपचार शामिल हो सकते हैं:

  • कम हीमोग्लोबिन के लिए लाल रक्त कोशिका को चढ़ाना
  • कम प्लेटलेट गिनती से संबंधित रक्तस्राव के लिए प्लेटलेट को चढ़ाना
  • निवारक एंटीबायोटिक चिकित्सा
  • भोजन बनाने की विशेष देखभाल, जैसे केवल पका हुआ भोजन करना और साफ़ सफाई का धयान रखना

अप्लास्टिक एनीमिया के मुख्य उपचार क्या हैं?

अप्लास्टिक एनीमिया के मुख्य उपचार हैं:-

अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (बोन मेरो ट्रांसप्लांट) – अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण आम तौर पे एक बोन मेरो डोनर (अस्थि मज्जा डोनर), जिसके अस्थि मज्जे का मिलान रोगी के साथ हो उसके साथ किया जाता है यानि की डोनर के स्वस्थ मज्जे को लेकर रोगी के रोगग्रस्त मज्जे को बदल दिया जाता है। एक अच्छा मज्जा मैच (सटीक मिलान वाले डोनर) के साथ ट्रांसप्लांट करने पे यह उपचार अत्यधिक सफल होता है और लगभग 80-90 प्रतिशत रोगियों में इसका पूर्ण निदान हो जाता है। हालांकि मरीज मज्जा प्रत्यारोपण को अस्वीकार कर सकता है जिसे रिजेक्शन कहते हैं और अन्य जीवन-धमकाने वाली जटिलताएं हो सकती हैं। ट्रांसप्लांट प्रक्रिया के दौरान होने वाली समस्याओं से मरीज की जान भी जा सकती है।

किसी डोनर के साथ रोगी के अस्थि मज्जे का मिलान है की नहीं उसका पता एक विशिस्ट प्रकार के जांच से ही पता चलता है – जिसे HLA (एच एल ए) मैचिंग कहते हैं

यदि किसी मरीज के पास उपयुक्त दाता (सटीक मिलान वाला डोनर ) उपलब्ध हो तो यह सबसे उत्तम इलाज माना जाता है। लेकिन सभी के पास उपयुक्त दाता नहीं होता है तब उन मरीजों में दवाइयों द्वारा बीमारी को ठीक करने की कोशिश की जाती है जिसे की मूलतः इम्यूनोस्प्रेसिव थेरेपी कहते है।

इम्यूनोस्प्रेसिव थेरेपी

इम्यूनोस्प्रेसिव थेरेपी रक्त कोशिका उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए दवाओं का उपयोग करती है। अप्लास्टिक एनीमिया एक ऑटोइम्यून विकार के कारण हो सकता है जिसमे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही अस्थि मज्जा में कोशिकाओं पर हमला करके नुकसान पहुंचाती है।
इसे रोकने के लिए, डॉक्टर कभी-कभी ऐसी दवाओं को लिखते हैं जो प्रतिरक्षा कोशिकाओं को दबाती हैं जो अस्थि मज्जा कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा रही हैं – इससे अस्थि मज्जा दुबारा काम करने लगता है।
धयान देने वाली बात यह है की इस प्रकार के इलाज के बाद बोहोत कम प्रतिशत मरीजों में बीमारी पूर्ण रूप से ठीक हो पाती है।

इसके अलावा, पुरुष हार्मोन एण्ड्रोजन के एक सिंथेटिक संस्करण का उपयोग भी अप्लास्टिक एनीमिया के उपचार के रूप में किया जाता है।
आज कल प्लेटलेट बढ़ने वाली रेवोलेड नामक दवाई का भी प्रयोग इम्यूनोस्प्रेसिव थेरेपी के साथ साथ किया जा रहा है – जिससे इम्यूनोस्प्रेसिव थेरेपी के सफलता के चांस बढ़ जाते है।

इसको एक चित्र के माध्यम से सरल रूप में निचे लिखा गया है।

इलाज के दौरान किन बातों का धयान रकना चाहिए ?

  • संक्रमण को रोकने के लिए अच्छी स्वच्छता से रहना बोहोत जरुरी है।
  • केवल अच्छी तरह से पका हुआ भोजन करें
  • निर्माण स्थलों से दूर रहें जो कुछ फंगल इन्फेक्शन का स्रोत हो सकता है
  • ऐसे लोगों से दूर रहें जो बीमार हैं
  • बड़ी भीड़ के आसपास नहीं जाएँ
  • अपने हाथ अक्सर धोएं
  • उन खाद्य पदार्थों को न खाएं जो पूरे रास्ते नहीं पके हैं
  • अपने दांतों को नियमित रूप से ब्रश करें और मुँह को नियमित रूप से साफ़ रखें

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